Tuesday, December 11, 2012

हर मुश्किल कर दे आसान



अब  सुध नहीं है अपनी पहचान की 
उभर रही है गाथा तेरी ही शान की 
सुख देती, संतोष से भर देती है 
 रीत ये रसमय तेरे गुणगान की 

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आँख नीद आकाश उड़ान 
सारे जग को अपना मान 
एक प्यार में अगणित नुस्खे 
हर मुश्किल कर दे आसान


अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
10 दिसंबर 2012

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

एक दृष्टि भर कृपा तुम्हारी,
ज्ञात मुझे मैं क्या कर जाऊँ।

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