एक दिन अचानक
सब कुछ नया नया सा
जैसे हर अक्षर का विन्यास
पहली बार उभर रहा हो मानस में
जैसे सीखने के लिए
शेष है अनंत पथ
और
यह आस्था भी
सहचरी हो चले सहज ही
की सीखने वाला भी
रूप है अनंत का
यह
सीखने-सिखाने का
रसमय खेल
एक दिन अचानक
यूँ नया हो सकता है
पुरानी सोच के साथ
मेल नहीं खता यह अनुभव
क्या इसी को
पुनर्जन्म कहते हैं?
अशोक व्यास
न्यू योर्क, अमेरिका
१७ दिसम्बर २०११
1 comment:
पुरानी विकृतियों का त्याग ही पुनर्जन्म है।
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