Friday, June 17, 2011

जीवन है आभार का किस्सा



जीवन मौज-बहार का किस्सा
बाकी सब बेकार का किस्सा
पतझड़ हो या हो वसंत अब
सबमें उसके सार का किस्सा

रंग-रंगीला धार का किस्सा
भीतर की बौछार का किस्सा
भीग गया जो जो भी खुल कर
जान गया आधार का किस्सा

अब कैसा अधिकार का किस्सा
छोड़ जीत और हार का किस्सा
चल अनंत से हाथ मिला कर
बदलें इस संसार का किस्सा


वही हर एक झंकार का किस्सा
सब सुमिरन के तार का किस्सा
हुआ तरंगित रोम-रोम में
एक विस्मित विस्तार का किस्सा


प्यासा रखे उधार का किस्सा
तृप्त करे उपहार का किस्सा
उग जाता है सच का सूरज
सुन अमृत-भण्डार का किस्सा


छूट गया व्यापार का किस्सा
साँसों में बस प्यार का किस्सा
दूर दूर तक देख के जाना
जीवन है आभार का किस्सा
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शुक्रवार, १७ जून २०११  
 

2 comments:

Unknown said...

सुन्दर पंक्तिया , विचारों की अद्भुत श्रंखला बधाई

प्रवीण पाण्डेय said...

जीवन पाना ही ईश्वर के प्रति आभार है।

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