Tuesday, June 14, 2011

विजेता वो है




नया यानि ऐसा
जो हुआ नहीं पहले
हर दिन यूँ तो
वही कुछ होता है
जो हो चुका है पहले
सूरज का उगना
नींद से जागना
इधर उधर भागना
और
उड़ती सोचों के परों को ताकना
 पर उसी कुछ के लिए
हमारी नयी  प्रतिक्रिया 
नया कर देती है सब कुछ
 
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सोच समझ कर
कोई प्रतिक्रिया ना करना भी
एक तरह की प्रतिक्रिया है
 
मूल प्रश्न कुछ पाने 
या कुछ खोने का नहीं
हर प्रतिक्रिया में  
स्वयं से जुड़ाव को
 बचाए रखने का है

विजेता वो है
जो स्वयम को छोड़े बिना
प्रतिक्रिया कर पाता है
क्यूंकि वो 
अपने विरोधी को
भी वैसे अपना पाता है
जैसे वो स्वयं को अपनाता है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१४ जून २०११  
       

2 comments:

Vivek Jain said...

सुंदर प्रस्तुति,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रतिक्रिया न करना अधिक प्रभावित कर जाता है।

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