Monday, May 16, 2011

मेरी और तुम्हारी बातें


सारी बातें, प्यारी बातें
अपनेपन की मारी बातें

उससे मिलना,रहा अधूरा
बोल बोल कर, हारी बातें

बातों बातों सुधर गए जब
मिल जुल बहुत सुधारी बातें

समझने वाले समझ गए
छोड़ चले हत्यारी बातें

साथ नहीं रहने वाली हैं 
ये पतझड़ की मारी बातें

चाँद बादलों में छुप कर भी
करता कितनी सारी बातें

जाने कैसे हुई हमारी
मेरी और तुम्हारी बातें

जागे मन ने देख लिया है
नींद ले रही सारी बातें

मौन मिलन का बड़ा मधुर है
मिलने की तैय्यारी बातें


अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
१६ मई २०११   




      

4 comments:

खबरों की दुनियाँ said...

बहुत खूब !!!

Rakesh Kumar said...

जाने कैसे हुई हमारी मेरी और तुम्हारी बातें

यह ईश्वर की असीम कृपा है जो ब्लोगिंग के माध्यम से आपसे बात करने का सुअवसर प्राप्त हुआ मुझे.आपकी अभिव्यक्ति में हर शब्द आपके पवित्र हृदय के सुन्दर भावों को व्यक्त करता है.
मै तो अभिभूत और मगन हों जाता हूँ.

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही मधुर।

Unknown said...

साथ नहीं रहने वाली हैं
ये पतझड़ की मारी बातें
चाँद बादलों में छुप कर भी
करता कितनी सारी बातें

सुन्दर अभिव्यक्ति

सुंदर मौन की गाथा

   है कुछ बात दिखती नहीं जो  पर करती है असर  ऐसी की जो दीखता है  इसी से होता मुखर  है कुछ बात जिसे बनाने  बैठता दिन -...