Friday, December 31, 2010

बरस के अंतिम दिन



 
बरस के अंतिम दिन
समय से नया रिश्ता बनाने के नाम पर
खुद के साथ नया पुल रचने का अवसर

ये पुल 
जिस पर भावनाएं, विचार, संभावनायें और सपने आते जाते हैं
ये पुल
जो भागते दिन की गर्त में हम ठीक तरह से देख नहीं पाते हैं
आज
पुरानी चीज़ें टटोलते हुए
अपने
अधूरे संकल्पों से बोलते हुए

आज
आशा का आव्हान कर 
नित्य नूतनता का सत्कार करने का आव्हान
नए बरस में
हर संपर्क में, हर कर्म से
अन्तर्निहित सर्वश्रेष्ठ की महिमा का हो गुणगान 
अशोक व्यास
३१ दिसंबर २०१०
 
 


नव वर्ष के स्वागत की तैय्यारी
उत्साह सुलभ करता शक्ति सारी 

लो फिर से सक्षम बने हम सब
छोड़ कर विवशता और लाचारी
 
नए बरस पर मंगल कामनाएं
प्रसन्न रहें, प्रसन्नता बढ़ाएं  
जय हो
ॐ गं गणपतये नमः 
जय गुरु
जय श्री कृष्ण
जय गुरु
जय शंकर 
जय माता दी
ॐ श्री साईं राम गुरुदेव दत्ता
 





3 comments:

vandana gupta said...

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

प्रवीण पाण्डेय said...

वही अन्तरतम निर्मल बना रहे।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....

नव वर्ष की शुभकामनायें

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