पहले जब जब हुआ करता था ऐसा
माँ लिए चलती थी
उठा कर गोद में अपनी
नहीं सोचता था
किसी भी क्षण विराम आ जाएगा
इस सवारी का
उतार कर अपनी गोद से
हो जाएगी व्यस्त
माँ अपने अन्य कार्यों में
पहले हर क्षण
अपने आप में पूरा होता ही था
परिचय भी नहीं था
अधूरेपन से
और अब
इतने बरस बाद
गोद जब जग-जननी की है
जान भी चुका हूँ
टूटन, बिखराव, खण्डित होने की त्रासदी
और शंकित भी रहा हूँ
अपने आप में
इस गोद की प्रमाणिकता को लेकर
उन सब उद्विग्न करते भाव चरणों से होकर
फिर से
आ पहुँचा हूँ
जब गोद में अपार करुणामयी माँ की
लबलबा रहा है
रस पूर्णता का
कृतज्ञता मेरी सहचरी है
प्रेम मेरा नित्य सखा
आनंद ऐसा
जो दुर्लभ से भी दुर्लभ है
माँ की गोद ऐसी की जैसे
अपने आप में हूँ
तो क्या
अपने आप में होकर ही माँ की गोद मिलती है
या
माँ की गोद में रह कर ही
हो पाता है
अपने आप में रहना
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, सुबह ५ बज कर ५० मिनट
दिसम्बर १०, ०९
माँ लिए चलती थी
उठा कर गोद में अपनी
नहीं सोचता था
किसी भी क्षण विराम आ जाएगा
इस सवारी का
उतार कर अपनी गोद से
हो जाएगी व्यस्त
माँ अपने अन्य कार्यों में
पहले हर क्षण
अपने आप में पूरा होता ही था
परिचय भी नहीं था
अधूरेपन से
और अब
इतने बरस बाद
गोद जब जग-जननी की है
जान भी चुका हूँ
टूटन, बिखराव, खण्डित होने की त्रासदी
और शंकित भी रहा हूँ
अपने आप में
इस गोद की प्रमाणिकता को लेकर
उन सब उद्विग्न करते भाव चरणों से होकर
फिर से
आ पहुँचा हूँ
जब गोद में अपार करुणामयी माँ की
लबलबा रहा है
रस पूर्णता का
कृतज्ञता मेरी सहचरी है
प्रेम मेरा नित्य सखा
आनंद ऐसा
जो दुर्लभ से भी दुर्लभ है
माँ की गोद ऐसी की जैसे
अपने आप में हूँ
तो क्या
अपने आप में होकर ही माँ की गोद मिलती है
या
माँ की गोद में रह कर ही
हो पाता है
अपने आप में रहना
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
गुरुवार, सुबह ५ बज कर ५० मिनट
दिसम्बर १०, ०९
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