लिखने वाले के
असंतोष और त्रुटि का
परिणाम
पृष्ठ को भुगतना होता
फट फट कर मिट जाने का
अंजाम
२
क्या इसी तरह जगत लिखने वाला
हमारी अपूर्णता पर कसमसाता
नए सिरे से
हमे न रच देने साँसों की श्रृंखला पर
विराम लगाता
३
शब्द अब
समय सापेक्ष
होकर भी
समय सीमा पार है
लिखना
अपने से
वहां जुड़ना है
जहां सीमातीत विस्तार है
अशोक व्यास
१५ सितंबर २०१६
न्यूयार्क,
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