बंद लिफ़ाफ़े की तरह
१
लिफाफा यह
खाली है भीतर से
पर चिपका हुआ है
खुल कर नष्ट हो जायेगा
कई बार
ये मान कर की
मिलना तो नहीं कुछ
हम खोलते ही नहीं
चिपका हुआ लिफाफा
समय का
इस तरह
धरा रह जाता
अज्ञात परिचय
जीवन का
बंद लिफ़ाफ़े की तरह
बीत जाता
बहुमूल्य जीवन
२
तुम ही हो न
स्वयं को देखने में
अपने आप मदद
नहीं कर पाते
शब्द
इनके द्वारा
उद्घाटित आलोक
तुम्हारा और
इनमें संचरित शक्ति भी
तुम ही हो न
तुम्हारी ही पहचान
शब्दों को उजला कर
बनाती पथ
दरसाती है गंतव्य, गति जो
यह सब हो तुम ही
पर न कहूंगा तुमसे
खेलूंगा
खेलूंगा
वैसे
जैसे भी
चाहते हो तुम
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३ जून २०१६
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