समय बदलता है या हम?
इस प्रश्न में है सरगम
कहाँ तक भागते रहें
किस जगह जाएँ थम
कहने सुनने से परे है एक संसार
जहां पर पकता है साँसों का सार
उसकी सजगता बढाने वाले
हर शब्द शिल्पी को नमस्कार
उस सृजनात्मकता का सत्कार
जिससे प्रकट होता है विस्तार
प्रार्थना सर्वत्र सुख -शांति की
बढे समन्वय, उजागर हो प्यार
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
३० अक्टूबर २०१५
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