बुजुर्गों की इनायत है
उन्ही से ये रिवायत है
दुआओं का असर देखो
मेरा जीवन मोहब्बत है
२
बुजुर्गों के सभी किस्से
मेरी साँसों के हैं हिस्से
सहेजूँ उसको कैसे मैं
सहेजा जा रहा जिससे
३
फिसल कर गिरने से बचाये है
माँ तेरी याद बहुत आये है
तेरी नज़रें इलाज़ करती हैं
चोट जब भी कोई लग जाए है
४
अपने होने का हुनर सिखला रहे अब भी
अपनी आँखों से, जहाँ दिखला रहे अब भी
मुझमें ये जो रहता है कायम तमाम उम्र
उसकी सूरत रात-दिन दिखला रहे अब भी
५
अब किसी लफ्ज़ से पत्थर न बना
जलते शोले से अपना घर न बना
सीख कुछ साथ रहने का सलीका
शहर को खौफ का मंजर न बना
६
सीख कर कोई नया गुर, क्या करें
रात दिन उसका तस्सव्वुर, क्या करें
बात जब रुक जाए तब रुक जाए है
ऐसे में कोई नया सुर, क्या करें
७
हकीकत से वास्ता रखता नहीं हूँ
अपने घर में रास्ता रखता नहीं हूँ
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
शुक्रवार, मई २२, २०१५
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