कविता क्या है
लिख लिख कर पता लगाता हूँ
फिर लिखता हूँ
क्योंकि जाना हुआ भूल जाता हूँ
कविता
पता लगाने का पथ है
की मन कहाँ है
किस बात में रत है
कविता
मन के संसार का ताना-बाना है
कुछ जानना है
कुछ बताना है
और कहने सुनने के क्रम को
ऐसे अपनाना है
की अपने साथ
एक मेक हो जाना है
तो क्या कविता
एकत्व की अनुभूति जगाना है
जो हर काल में रहता है
उसके संग घुल मिल जाना है
स्वयं से अलग होकर
स्वयं को देखते जाना है
सत्य है या श्रृंगार सत्य का
कविता जीवन को थपथपाना है
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२४ जनवरी २०१५
No comments:
Post a Comment