१
कितना सा फासला है
मेरे तुम्हारे बीच
यही जीवन-मृत्यु सा
और
ठान लिया है मैंने
मिट कर नहीं
अमिट होकर ही
मिटाना है
फासला तुमसे
२
बिना
बदले भी
कुछ तो
होगा न
मुझमें ऐसा
जिससे मेल खाती हो
लय तुम्हारे सार की
३
मैं
हर रोज
उस पार्क की बैंच पर
बैठता हूँ
मिलने तुमसे
जब
जा चुकती हो
बैंच से तुम
मिल कर मुझसे
४
अब नहीं है
साथ साथ भाग कर
चट्टान के छोर से
दूर दूर तक देखते हुए
हाथों की अँगुलियों में
सृष्टि फंसाने का समय
अब
धमाकों के बीच
जान बचा कर
भागना है हमें,
ऐसे में
औपचारिकता कैसी
खोया यदि
एक दूसरे का चेहरा
जो रो रहा होगा कहीं
वही जीवित होगा
लिखता हुआ
आंसूओं से
एक खोया हुआ जीवन
५
सुनो
तुम्हें खोने का डर
अपने आप को खो देने के डर से बड़ा है
मेरे लिए
लिखते हुए यह बात
हो गया हूँ निडर
और आश्वस्त की
अब कोई गोली
नहीं कर सकती हम पर असर
यह
जो एक विशेष सुरक्षा कवच
याद दिलाता है
प्यार
वह वज्र है, जो
हर हमले से बचाता है
अशोक व्यास
न्यूयार्क , अमेरिका
दिसम्बर २०१४
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