Thursday, July 24, 2014

तुम हो न सर्वश्रेष्ठ कवि ?



१ 

और फिर 
उसने नन्ही चिड़िया से बतियाते हुए 
अपने दिल पर पड़ा पत्थर हटाया 
और चिड़िया के सामने माना 
की वो दुनियां का सर्वश्रेष्ठ कवि नहीं है 

२ 

चिड़िया ने तिनके का मोह छोड़ते हुए 
अपना घरोंदा बनाने का कार्य स्थगित करते हुए 
उससे कहा 
"वह बात, जो सारी दुनिया पहले से जानती है 
तुम भी जान और मान लेते हो 
तो तुम दुनिया से साथ कदम मिलाने लायक बन जाते हो"

३ 

अपनी चोंच से निकले तिनके को हवा में उड़ता देखते हुए 
चिड़िया ने फिर कहा 
"पर तुम्हारी विशेषता इसमें है 
की तुम दुनिया के खिलाफ 
अपनी उन मान्यताओं की रक्षा करो 
जो सिर्फ तुम्हारी अपनी हैं
तुम जानते हो 
संसार में तुम्हारे लिए 
तुम्हारे जैसा कवि 
और कोई न है 
न हो सकता है 
फिर क्यों इंकार करना 
अपनी इस खूबी को चाहे मत बेचो 
चाहे इससे नाम न कमाओ 
पर अभिव्यक्ति के इस आलोक की पावनता 
दुनियां की आँखों से देख कर 
न घटाओ, न बढ़ाओ "

४ 

हो तुम सर्वश्रेष्ठ या नहीं 
यह प्रश्न ही नहीं 
श्रेष्ठ हो तुम 
क्योंकि जिस भूमि से कविता उपजती है 
वहां तुम्हारे सिवा 
न और कोई है 
न हो सकता है 

५ 

तुम्हारी कविता 
अपने आप से जुड़ने के प्रयासो के पदचिन्ह हैं 
इन पदचिन्हों के गौरव को न झुठलाओ 
इनके द्वारा प्रदर्शित दिशा को देखो 
इन संकेतों से प्रेरणा प्रसाद पाओ 
जहाँ भी हो 
वहां से आगे और आगे बढ़ जाओ 

६ 

कविता कोई बाजारू इश्तिहार सा पोस्टर नहीं 
न ही किसी की बैलेंस शीट का समीकरण 
कविता तुम्हारी साँसें हैं 
तुम्हारा जीवन है 
तुम्हारा होना है 
अपने होने की महिमा का मूल्यांकन करते हुए 
अपनी हर सांस में 

विराट के विध्यमान होने की सजगता 
क्यों न मानो ?
क्यों न इस विलक्षण तथ्यात्मक सत्य का उत्सव बनाओ ?

७ 

कविता कभी बहती नदी है 
कभी सागर की आश्वस्त दृष्टि 
एक सूक्ष्म सतह का संवेदनशील आधार 
जो इस निष्ठां को बल देता है 
की तुममें है कुछ ऐसा 
जो अद्वितीय है 
जो अनूठा है 
जिससे इस विश्वास का आलोक निःसृत है 
की 
तुममें अनुस्यूत है वह पात्रता 
जिसे लेकर तुम जहाँ हो 
वहां से ऊपर उठ जाओ 

८ 

कविता अनंत तक उठने की सीढ़ियों का पथ है 
तुम कविता हो 
तुम अनंत हो 
तुम सीढीयां हो 

जीवन तुम्हारे सर्व्यापी होने की घोषणा करने के लिए 
जिस संरचना को अपनाता है 
उसका नाम कविता है 

९ 

कहो 
तुम हो न सर्वश्रेष्ठ कवि ?

चिड़िया ने पूछा इस बार जब 
चिड़िया नहीं 
दिखाई दिया कोई और 

मेरी कविता मुझे  इस 'कोई और' के दर्शन करवाती है 
मैं नहीं बनाता कविता, कविता ही मुझे बनाती है 



अशोक व्यास 
न्यूयार्क, अमेरिका 
२४  जुलाई २०१४ 




1 comment:

कविता रावत said...

कविता अनंत तक उठने की सीढ़ियों का पथ है
तुम कविता हो
तुम अनंत हो
तुम सीढीयां हो

जीवन तुम्हारे सर्व्यापी होने की घोषणा करने के लिए
जिस संरचना को अपनाता है
उसका नाम कविता है

… बहुत सही

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