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कभी-कभी
कर लेना चाहता
अपनी स्थिति का आंकलन,
ना जाने क्यूं
परिचय हो जाता अपना
सीमाओं का बंधन,
(फोटो- अशोक व्यास) |
कभी- कभी
गले में बाँहें डाल कर
यूँ बोलता आकाश
है तुम्हारे भीतर
मेरे जितना
प्यार भरा विश्वास,
कभी कभी
छुडा कर धरा
गोद में ले उडाती है पवन,
हर दिशा को
देख-समझ
अनंत को कर लेता नमन,
अशोक व्यास
न्यूयार्क, अमेरिका
२९ अगस्त २०११
4 comments:
बस यही विश्वास बना रहना चाहिये।
विशालता का विश्वास आकाश से मिलता है।
परिचय हो जाता अपना
सीमाओं का बंधन,
इस सीमा की पहचान ही बहुत मुश्किल से होती है ...कहीं न कहीं कोई न कोई सीमा हमें बंधे ही रखती है ...सुंदर चित्र और सुंदर अभिव्यक्ति...
सुन्दर अहसास
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