tag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post7790553823085617353..comments2024-01-11T00:47:49.615-08:00Comments on Naya Din Nayee Kavita: अंजुरी प्यार कीAshok Vyashttp://www.blogger.com/profile/14603070841314936254noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-13164391958667074492011-05-19T20:13:17.574-07:002011-05-19T20:13:17.574-07:00न जाने कितने कल्पनीय सत्यों से ठूँस कर भर लिया है ...न जाने कितने कल्पनीय सत्यों से ठूँस कर भर लिया है हमने अपना अंतःकरण।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-9919007229456303962011-05-18T09:27:12.119-07:002011-05-18T09:27:12.119-07:00सत्य वह है
जो हमें बना कर
देखता है
की कितने सजग ह...सत्य वह है<br />जो हमें बना कर <br />देखता है<br />की कितने सजग हैं हम<br />आस-पास के खिलौनों से परे<br />उसे देखने में<br />जो सत्य रहता है हमेशा<br /><br />बहुत सही लिखा है आपने.सत्य ही हमें इस लायक बनाता है जिससे कि हम दुनियावी आडम्बर से मुक्त होकर असीम सत्य का दर्शन करने में सैदेव तत्पर रहते हैं जिसे ईश्वर भी कहतें हैं.<br />इसके लिए 'अंजुरी प्यार की' पर्याप्त हैं.क्यूंकि वह 'भाव' का ही तो भूखा है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-4778409421928997072011-05-18T06:05:08.250-07:002011-05-18T06:05:08.250-07:00रम जाओ
अनवरत प्रवाह में
सहज उछलते
नित्य मुक्त विस...रम जाओ <br />अनवरत प्रवाह में<br />सहज उछलते<br />नित्य मुक्त विस्तार में <br /><br />मन यही चाहता है कि प्रवाहमान जीवन रहे और हम रम जाएँ नित्य मुक्त विस्तार में ...!!<br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.com