tag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post1585281444545223149..comments2024-01-11T00:47:49.615-08:00Comments on Naya Din Nayee Kavita: आनंदित विस्तार के मौन मेंAshok Vyashttp://www.blogger.com/profile/14603070841314936254noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-90498570593727167932011-05-10T05:12:48.503-07:002011-05-10T05:12:48.503-07:00धन्यवाद वंदनाजी, प्रवीणजी और राकेश कुमार जी, आपके ...धन्यवाद वंदनाजी, प्रवीणजी और राकेश कुमार जी, आपके शब्दों से हमारे 'एक्य' का भाव रसमय दृढ़ता को प्राप्त करता है, जय होAshok Vyashttps://www.blogger.com/profile/14603070841314936254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-31341162614684374022011-05-09T21:45:57.426-07:002011-05-09T21:45:57.426-07:00'लीन इस आनंदित विस्तार के मौन में
मुंदी हुई ऑ...'लीन इस आनंदित विस्तार के मौन में<br /> मुंदी हुई ऑंखें पर बोध है मुस्कुरा रहा हूँ मैं'<br /><br />आप यूँ ही आनंद में लीन रहें और चेतना के सहज बोध में यूँ ही मुस्कुराते रहें.हमें तो आपकी अनुभूति से ही असीम आनंद आ रहा है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-34187424643943000402011-05-09T09:21:51.825-07:002011-05-09T09:21:51.825-07:00पढ़कर शान्ति उतर आयी।पढ़कर शान्ति उतर आयी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1107418668088312043.post-81771269533085989512011-05-09T04:19:27.869-07:002011-05-09T04:19:27.869-07:00जल रहा है
अकम्पित
एक दीप श्रद्धा का
लीन इस
आनंदित...जल रहा है<br />अकम्पित<br />एक दीप श्रद्धा का<br /><br />लीन इस<br />आनंदित विस्तार के मौन में<br /><br />मुंदी हुई ऑंखें<br />पर बोध है <br />मुस्कुरा रहा हूँ मैं<br /><br />दिव्य आलोक गुंजा रहा है मुझमे……………बहुत सुन्दर और अन्तस मे उतरने वाली प्रस्तुति सीधा समागम कराती है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com